लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Election 2024) का परिणाम आ चुका है और सियासी पार्टियां अपने दावे पेश कर रही हैं। इस चुनाव का प्रभाव न केवल राजनीतिक पार्टियों पर बल्कि देशभर के पेंशनर्स पर भी पड़ा है, खासकर उन लोगों पर जो ईपीएस 95 पेंशन (EPS 95 Pension) के लिए आंदोलन कर रहे हैं। इन पेंशनर्स की नजर नई सरकार पर टिकी हुई है, उनकी मांगें अब भी बरकरार हैं और वे सरकार से उचित कदम उठाने की उम्मीद कर रहे हैं।
पेंशनर्स की मांगें और स्थिति
चुनाव से पहले, पेंशनर्स मोदी सरकार से नाराज थे। उनकी मुख्य मांगें 7500 रुपये मासिक पेंशन, डीए (महंगाई भत्ता), और चिकित्सा लाभ शामिल हैं। वे मानते हैं कि इन मांगों को पूरा करके ही उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
गौतम चक्रवर्ती, एक पेंशनभोगी, ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि भाजपा और टीम मोदी इस समय टीडीपी और जेडीयू जैसी सहयोगी पार्टियों पर निर्भर हैं, जो कि गठबंधन में प्रभावशाली रियायतें प्राप्त करने में माहिर हैं।
राजनीतिक परिदृश्य और आगामी चुनाव
महाराष्ट्र, हरियाणा, और दिल्ली विधानसभा चुनाव भी जल्द ही होने वाले हैं। पेंशनर्स का मानना है कि इन चुनावों में भाजपा पर दबाव बनाया जा सकता है ताकि उनकी मांगें पूरी की जा सकें। महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा का पिछला प्रदर्शन फीका रहा है, जबकि दिल्ली में आप (AAP) का प्रदर्शन विधानसभा चुनावों में बेहतर रहा है।
सामाजिक मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
गौतम चक्रवर्ती ने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा कि कैसे मोदी सरकार ने उनकी उचित मांगों को नजरअंदाज किया। उन्होंने प्रधानमंत्री पर झूठे वादों और गलत जानकारी देने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार के खिलाफ उनकी एकजुट कार्रवाई ने एक बड़ा प्रभाव डाला है।
क्या हो सकता है भविष्य में?
पेंशनर्स का कहना है कि अगर नई सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से लेती है, तो आगामी विस्तृत बजट में वे कुछ अच्छी खबर की उम्मीद कर सकते हैं। अन्यथा, वे आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगे।
पेंशनर्स के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपनी मांगों को स्पष्ट और प्रभावी तरीके से पेश करें। उन्हें राजनीतिक दलों से संपर्क बनाए रखना चाहिए और सोशल मीडिया का उपयोग करके अपनी आवाज को और मजबूत करना चाहिए।