आप मिडिल क्लास हैं या अपर मिडिल क्लास? जानिए, कैसे होता है ये डिसाइड

इस लेख में हम आपको मिडिल क्लास, लोअर मिडिल क्लास, और अपर मिडिल क्लास के वर्गीकरण की समझ देंगे। सोशल मीडिया पर वायरल हुए सौरव दत्ता के पोस्ट के अनुसार, लिक्विड नेट वर्थ के आधार पर किस तरह विभिन्न आर्थिक वर्ग तय किए जा सकते हैं, इसकी जानकारी प्रदान की गई है।

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Written byManju Chamoli

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आप मिडिल क्लास हैं या अपर मिडिल क्लास? जानिए, कैसे होता है ये डिसाइड
Middle class

आजकल सोशल मीडिया पर एक चर्चा जोरों पर है: आप मिडिल क्लास हैं, अपर मिडिल क्लास या फिर लोअर मिडिल क्लास? यह सवाल उठता है कि आखिर कैसे डिसाइड होता है कि कोई मिडिल क्लास है या नहीं। बढ़ती महंगाई और बदलते आर्थिक हालात ने इस वर्गीकरण के मानकों को और भी जटिल बना दिया है। आइए, जानते हैं कि इस मुद्दे पर लोगों की क्या राय है और इसे समझने के लिए हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

मिडिल क्लास की चर्चा क्यों है?

हाल ही में, यूरोप में रह रहे भारतीय निवेशक सौरव दत्ता ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने विभिन्न आय वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति को बताया। उनके अनुसार, जिस व्यक्ति के पास 10 लाख रुपये की लिक्विड नेट वर्थ है, उसे गरीब माना जाता है, जबकि 50 लाख रुपये के पास वाले को लॉअर मिडिल क्लास, 1 करोड़ के पास वाले को मिडिल क्लास, और इसी तरह अधिक धन रखने वाले व्यक्ति को अपर मिडिल क्लास में गिना जाता है।

लिक्विड नेट वर्थ क्या है?

लिक्विड नेट वर्थ उस प्रॉपर्टी को बोलते हैं, जिसे आप 2 दिनों में कैश में तब्दील कर सकते हैं। जैसे अगर आपके पास सोना है, तो आप इसे लिक्विड नेट वर्थ कह सकते हैं। लेकिन, आपका जो प्राइमरी घर है, वह लिक्विड नेट वर्थ में नहीं आएगा। अगर आपके पास कोई एक्स्ट्रा प्लॉट है, तो उसे इसमें गिना जाएगा। इसमें शेयर्स आदि को भी इसी संपत्ति में गिना जाएगा।

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कुछ और रिपोर्ट्स में अलग परिभाषा

  • इंडियन थिंक टैंक के एक सर्वे के अनुसार, जिन लोगों की इनकम 5-30 लाख रुपये सलाना होती है, उन्हें मिडिल क्लास की कैटेगरी में माना जाता है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि इस हिसाब से भारत में मिडिल क्लास की संख्या 2020-21 में करीब 31% हो गई, जबकि 2004-05 में यह हिस्सा सिर्फ 14% था।
  • वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति हर साल 1,036 डॉलर और 12,615 डॉलर के बीच कमाई करता है, तो उसे मिडिल क्लास माना जाएगा। भारत के हिसाब से 6 लाख से 18 लाख रुपये कमाने वाले लोग मिडिल क्लास की कैटेगरी में आते हैं।
  • मास्टरकार्ड की रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग सालाना 1,51,651 रुपये कमाते हैं, वो मिडिल क्लास में आते हैं।
  • नेशनल काउंसिल फॉर अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के अनुसार, जो व्यक्ति 2 से 10 लाख रुपये कमा रहा है, वो मिडिल क्लास की कैटेगरी में आता है।
  • PEW रिसर्च के अनुसार, एक मिडिल क्लास व्यक्ति हर रोज 10 से 20 डॉलर रोज कमाता है, यानी करीब 800 से 1700 रुपये।

क्या है सही तरीका?

कई रिपोर्ट्स और एक्सपर्ट्स का मानना है कि मिडिल क्लास, अपर मिडिल मापने का कोई सटीक पैमाना नहीं है। इसे इनकम के हिसाब से मापना मुश्किल है, क्योंकि कई सीनियर सिटीजन लोग ऐसे हैं, जो पैसे कमाते नहीं हैं, लेकिन अच्छा जीवन यापन कर रहे हैं। इसलिए, केवल इनकम से इसका पता नहीं लगाया जा सकता।

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