लोकसभा चुनाव 2024 के बाद संसद का पहला सत्र नवनिर्वाचित लोकसभा सदस्यों के शपथग्रहण और स्पीकर चुनाव के बाद आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करने से शुरू हुआ। इस बीच, संसद में स्थापित किए गए सेंगोल पर सियासत गर्म हो गई है। विपक्षी दलों का कहना है कि सेंगोल राजतंत्र का प्रतीक है, जबकि बीजेपी का कहना है कि यह राष्ट्र का प्रतीक है। सेंगोल का इतिहास भारत की आजादी और चोल राज शासन से जुड़ा है।
सेंगोल पर समाजवादी पार्टी की आपत्ति
समाजवादी पार्टी (SP) ने संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास स्थापित सेंगोल को हटाने की मांग की है। राज्यसभा सांसद आरके चौधरी ने कहा कि संविधान महत्वपूर्ण है और लोकतंत्र का प्रतीक है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में संसद में ‘सेंगोल‘ स्थापित किया, जिसका अर्थ ‘राजा का डंडा’ होता है। उन्होंने पूछा, “देश ‘राजा के डंडे’ से चलेगा या संविधान से?” और मांग की कि सेंगोल को हटाकर उसकी जगह संविधान स्थापित किया जाए।
अखिलेश यादव और अन्य विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के मुखिया और सांसद अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सेंगोल के सामने सिर झुकाया था, लेकिन शपथ लेते वक्त इसे भूल गए। शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने भी संविधान को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि इस पर इंडिया ब्लॉक में चर्चा होगी।
कांग्रेस और आरजेडी का समर्थन
कांग्रेस पार्टी ने समाजवादी पार्टी की मांग का समर्थन किया। कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने कहा कि बीजेपी ने अपनी मर्जी से सेंगोल लगा दिया और सपा की मांग गलत नहीं है। आरजेडी नेता मीसा भारती ने भी सेंगोल को हटाने की मांग की और कहा कि इसे म्यूजियम में रखना चाहिए क्योंकि यह राजतंत्र का प्रतीक है।
बीजेपी का बचाव
बीजेपी के लोकसभा सांसद खगेन मुर्मू ने आरोप लगाया कि विपक्ष संविधान के बारे में गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी संविधान को बहुत सम्मान देते हैं। बीजेपी सांसद महेश जेठमलानी ने सेंगोल को राष्ट्र का प्रतीक बताया और कहा कि इसे कोई नहीं हटा सकता।
सेंगोल का इतिहास और महत्व
सेंगोल का आधुनिक इतिहास भारत की आजादी के साथ जुड़ा हुआ है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल सौंपा गया था। प्राचीन इतिहास में सेंगोल का जिक्र चोल राज शासन से मिलता है, जहां सत्ता का उत्तराधिकार सौंपते हुए पूर्व राजा, नए राजा को सेंगोल सौंपता था।
महाभारत में भी मिलता है जिक्र
महाभारत में भी ऐसे उत्तराधिकार सौंपे जाने का जिक्र मिलता है। युधिष्ठिर के राज्याभिषेक के दौरान राजदंड को न्याय और अर्थ की रक्षा करने वाला बताया गया है।
सेंगोल की अवधारणा और महत्व
सेंगोल तमिल शब्द ‘सेम्मई’ से बना है, जिसका अर्थ है ‘नीतिपरायणता’। इसे धारण करने वाले पर यह विश्वास किया जाता है कि वह नीतियों का पालन करेगा। ऐतिहासिक परंपरा के अनुसार, राज्याभिषेक के समय, राजा के गुरु के नए शासक को औपचारिक तौर पर राजदंड सौंपते थे।
Chanakya ne kaha tha ki shasan ko sucharu roop se chalane ke liye raja ko saam, dand, bhed teeno ka istemaal karne ki kala aani chahiye. Isliye sagol ko sansad bhawan se nahi hatana chahiye