Petrol and diesel price: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया है जिसमें उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार हमेशा से पेट्रोल और डीजल को भारतीय GST के दायरे में लाने की कोशिश कर रही है। अब इसके लिए आगे की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है, और राज्य सरकारों को मिलकर इसकी दरें तय करनी होंगी।
मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल को भारतीय GST नियमों के दायरे में लाने के लिए तैयारी है, परंतु इसकी अनुमति के लिए अब राज्यों की सहमति की जरूरत है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे बयान करते हुए कहा कि इस निर्णय के पीछे हमेशा से पेट्रोल और डीजल के वित्तीय प्रभावों को सुधारने का मकसद रहा है।
GST के माध्यम से क्या हो सकता है?
जीएसटी, जो 2017 में लागू हुआ, एक समग्र और सरल कर ढंग प्रस्तुत करता है जिससे टैक्स सिस्टम को विस्तारित और ट्रांसपेरेंट बनाया जा सकता है। इसका मुख्य लक्ष्य वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स दरों को सरलीकृत करना है, जिससे नागरिकों को अधिक योग्यता और समानता प्राप्त हो सके।
राज्यों की सहमति क्यों जरूरी है?
पेट्रोल और डीजल की गुणवत्ता और दर को तय करने में राज्यों की सहमति अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह निर्णय सीधे रूप से आम जनता के खर्च पर प्रभाव डाल सकता है और उसे कम कर सकता है।
क्या होगा अगला कदम?
जब तक सभी राज्यों की मंजूरी नहीं होती, पेट्रोल और डीजल की जीएसटी के तहत शामिलता को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है। लेकिन इस बारे में चर्चा के बाद अगले कदम की तैयारी हो रही है।
इस निर्णय से उम्मीद है कि पूरे देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी आ सकती है, यदि सभी राज्य इस पर सहमति जताते हैं। GST के इस नए अवसर से जुड़े रहें और अपने विचार हमें जरूर बताएं।